प्रिय पाठकों,
मेरा नाम नितिन चौरसिया
है | ‘Niks-d’ लिखता हूँ कई बार | खुद के नाम को दूसरे नामों से पृथक करने के लिए |
जन्म कुंडा, प्रतापगढ़ (उत्तर प्रदेश) में हुआ पर पिताजी की नौकरी के चलते प्रारंभिक
शिक्षा – दीक्षा प्रभु श्री राम की तपोभूमि चित्रकूट में हुयी | ननिहाल फूलपुर, इलाहबाद
(उत्तर प्रदेश) में है | उच्च शिक्षा के लिए इलाहबाद विश्वविद्यालय में प्रवेश
लिया और वहाँ से विज्ञान में स्नातक की उपाधि ग्रहण की | फिर एक विश्विख्यात ओपन टू आल
कोर्स किया | जी हाँ, व्यवसाय प्रबन्धन से परास्नातक यानी एम. बी. ए. | उत्तर
प्रदेश प्राविधिक विश्विद्यालय के तत्कालीन स्वायत्त संस्थान आई. ई. टी. से, जो
अलीगंज इंजीनियरिंग कॉलेज नाम से पूरे लखनऊ (उत्तर प्रदेश) में प्रसिद्ध है |
फिलहाल लखनऊ विश्विद्यालय के व्यवसाय प्रबन्धन विभाग में शोधरत हूँ |
बचपन से ही पढने में
कुछ ज्यादा ही रूचि रही | बाद में पढ़ाने में हो गयी | इसी पढने – पढ़ाने के बीच
लिखने की आदत भी हो गयी | शुरूआती दिनों में दैनिक समाचारपत्र ‘आज’ आता था घर में |
बुधवार, शनिवार और रविवार साप्ताहिक विशेषांक होंने के कारण ‘दैनिक जागरण’ भी ले
लिया करते थे | कविता – कहानी भेजी जाती पर सम्पादक महोदय को शायद पसंद न आती | तो
उन दिनों कुछ भी प्रकाशित नहीं हुआ | फिर कॉलेज में ‘मन्दाकिनी’ पत्रिका के लिए
लेख भेजा | २००६ में | सम्पादन का कार्य देख रहे श्री आनंद राव तैलंग सर को लेख
बेहद पसंद आया | उन्होंने लेख को प्रार्थना सभा में पढ़कर सभी को सुनाया और पत्रिका
में भी शामिल किया |
उसके बाद एक – दो
लेख दैनिक जागरण पाठकनामा में भी प्रकाशित हुये | इलाहबाद विश्विद्यालय के
साँख्यिकी विभाग द्वारा प्रकाशित होने वाली पत्रिका ‘सांख्याकृति’ में भी २०१२ में
एक लेख को स्थान मिला – ‘व्हाई नॉट
कोलावारी डी ?’ शीर्षक से | देश की तत्कालीन परिस्थिति पर कटाक्ष करने की कोशिश की
थी उस लेख में | २०१२ में ही ‘नज़्म’ नाम से एक ब्लॉग बनाया | अपनी कविताओं को खुद
प्रकाशित करने के लिए | इलाहाबाद के ही ‘आई नेक्स्ट’ ने मेरी कुछ नज़्म २०१४ में ‘ब्लॉगोस्फीयर’
कॉलम में प्रकाशित की |
उसके बाद ‘आई-नेक्स्ट
इलाहाबाद’ में मुझे स्थान मिलता रहा | जब परास्नातक के लिए इलाहाबाद से लखनऊ आया
तो लेखन कार्य थोडा बाधित हो गया | अधिकतर पोस्ट फेसबुक पर होने लगे और ब्लॉग
लिखना भी लगभग ख़त्म सा हो गया |
अब जब शोधकार्य
आरम्भ कर चुका हूँ तो समझ आता है कि अपने विचार अगर साझा नहीं किये गए तो वो किसी
डायरी के पन्ने में या फिर लेखक के मन में ही दम तोड़ देंगे | कि आजादी उन्हें भी प्यारी
है |
अपनी लेखनी को लोगों
से साझा करने के लिए फेसबुक और अन्य पत्रिकाओं से संपर्क पुनः शुरू किया | अब तक ई-कल्पना,
चिट्स एंड चेटर्स (अब द आर्ट गैलोर), द अनोनिमस राइटर, द रिजेक्टेड राइटर, और साहित्यकुंज में कई सारी रचनाओं ने अपना स्थान बनाया है |
लेखनी अभी भी हाथ
में है और कुछ लिख जाने की चाहत भी है...
आपके प्यार और
आशीर्वाद की आवश्यकता हरदम रहेगी |
आपका,
(Niks-d)
Badhaaiyan. Punah jaagrit hone ke liye.
ReplyDeleteबधाई एवं शुभकामनायें.... नितिन जी ।
ReplyDeleteबधाई एवं शुभकामनायें.... नितिन जी ।
ReplyDeleteSabasladke
ReplyDelete